Retro movie review hindi mai Suriya ki chamak barkarar

रेट्रो(Retro) मूवी रिव्यू (हिंदी में): सूर्या की चमक बरकरार, लेकिन कार्तिक सुब्बाराज की फिल्म में स्थिरता की कमी (Retro movie review hindi mai Suriya ki chamak barkarar)

कास्ट: सूर्या, जोजू जॉर्ज, पूजा हेगड़े
निर्देशक: कार्तिक सुब्बाराज
संगीत: संतोष नारायण

रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5)

कहानी का सारांश:

कार्तिक सुब्बाराज की नई फिल्म रेट्रो एक्शन, रोमांस और संगीत का मिक्सचर है जिसमें सूर्या एक बार फिर से अपने करिश्माई अंदाज़ में नज़र आते हैं। फिल्म की कहानी पारीवेल कन्नन उर्फ़ पारी (सूर्या) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे गैंगस्टर थिलकन (जोजू जॉर्ज) ने अपने बेटे की तरह पाला है। पारी थिलकन का सबसे भरोसेमंद आदमी है, लेकिन एक दिन वह थिलकन की ‘गोल्डफिश’ चुराकर भाग जाता है। इसी दौरान वह अपनी प्रेमिका और पशु चिकित्सक रुक्मिणी (पूजा हेगड़े) से शादी करने वाला होता है और वादा करता है कि वह आपराधिक जीवन छोड़ देगा। लेकिन जैसे ही शादी होती है, थिलकन आ धमकता है और तबाही मचा देता है।

इस हमले के बाद पारी को फिर से हथियार उठाने पड़ते हैं और वह जेल पहुंच जाता है। पांच साल की सजा काटने के बाद जब वह बाहर आता है, तो रुक्मिणी कहीं गायब हो चुकी होती है। उसकी खोज पारी को अंडमान के एक दूर-दराज के द्वीप ‘ब्लैक आइलैंड’ तक ले जाती है। वहीं दूसरी ओर थिलकन अभी भी बदले की आग में जल रहा है और अपनी गोल्डफिश की तलाश कर रहा है। ब्लैक आइलैंड पर भी चीज़ें आसान नहीं हैं क्योंकि वहां का क्रूर मिरासदार (नासर) और उसका बेटा माइकल पारी की राह में एक नई चुनौती बनते हैं।

अब सवाल ये है कि क्या पारी को रुक्मिणी वापस मिलेगी? क्या वह थिलकन और माइकल से निपट पाएगा? और क्या वह अपनी जिंदगी को सही दिशा दे पाएगा?

फिल्म की अच्छाइयाँ:

सूर्या का प्रदर्शन: सूर्या हमेशा की तरह इस फिल्म में भी शानदार हैं। चाहे वो एक्शन सीन हों या भावनात्मक दृश्य या फिर पूजा हेगड़े के साथ की केमिस्ट्री, हर फ्रेम में सूर्या का आत्मविश्वास और अनुभव झलकता है।

पूजा हेगड़े की दमदार भूमिका: रुक्मिणी का किरदार पूजा के करियर की सबसे मजबूत भूमिकाओं में से एक है। उन्होंने इस किरदार में गहराई और संवेदनशीलता लाकर दर्शकों का दिल जीत लिया।

जोजू जॉर्ज और अन्य कलाकार: थिलकन के रूप में जोजू जॉर्ज एक बार फिर अपनी प्रभावशाली अदाकारी दिखाते हैं। माइकल का किरदार निभा रहे अभिनेता ने भी अच्छा काम किया है। प्रकाश राज और संगीत निर्देशक संतोष नारायण का कैमियो दिलचस्प है।

संगीत और तकनीकी पक्ष: संतोष नारायण का बैकग्राउंड म्यूज़िक फिल्म को नई ऊँचाइयों तक ले जाता है। खासकर एक्शन सीन्स में उनका संगीत जोश भर देता है। “कन्निमा” गाना पहले ही थिएटर्स में व्हिसलिंग का कारण बन चुका है।

फर्स्ट हाफ: फिल्म का पहला भाग अच्छी तरह से सेटअप करता है। पारी, थिलकन और रुक्मिणी के बीच की कहानी में एक अच्छा संतुलन देखने को मिलता है। एक्शन और डांस सीक्वेंस बेहतरीन कोरियोग्राफी और तकनीकी उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।

कमज़ोर कड़ियाँ:

दूसरे हाफ की कमजोरी: ब्लैक आइलैंड की कहानी और उसमें जोड़ा गया “जटा मुनि” और “रबर कल्ट” का रहस्य कहानी को भटकाता है। यह भाग फिल्म की गति को धीमा करता है और दर्शकों को उलझन में डालता है।

स्क्रीनप्ले में असमानता: फिल्म को अध्यायों (chapters) में बांटना एक प्रयोगात्मक स्टाइल है (जैसे ‘वार’ और ‘कल्ट’), लेकिन ये टुकड़ों में बंटी कहानी एक जुड़ी हुई फिल्म का एहसास नहीं देती।

एक्शन फिल्म के तौर पर उम्मीदों पर खरी नहीं: शुरुआत में फिल्म एक हाई ऑक्टेन गैंगस्टर-ड्रामा की तरह लगती है, लेकिन बाद में बहुत सारे सब-प्लॉट्स जुड़ जाने से मूल कहानी का फोकस कमजोर हो जाता है।

रेट्रो एक ऐसी फिल्म है जो एक जबरदस्त शुरुआत करती है, लेकिन अंत तक पहुँचते-पहुँचते बिखर जाती है। सूर्या और पूजा हेगड़े जैसे सितारों का बेहतरीन अभिनय, शानदार संगीत और कुछ प्रभावशाली एक्शन दृश्य फिल्म को जरूर ऊपर उठाते हैं, लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले और दूसरी छमाही की असंगत दिशा इस फिल्म को एक क्लासिक बनने से रोकती है।

अगर आप सूर्या के फैन हैं या म्यूज़िकल-स्टाइल एक्शन ड्रामा पसंद करते हैं, तो रेट्रो एक बार देखी जा सकती है। लेकिन अगर आप एक कसावट वाली कहानी और सस्पेंस की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह फिल्म शायद आपको पूरी तरह संतुष्ट न कर सके।

फाइनल वर्ड:
रेट्रो एक चमकदार सितारे (सूर्या) की दम पर टिकी फिल्म है, लेकिन यह चमक पूरी फिल्म में बराबरी से नहीं फैली है।

 

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