Uttar banga mai kudrat ka kaher,barish aur landslides ne li do jane

“उत्तर बंगाल में कुदरत का कहर: बारिश और भूस्खलन ने ली दो जानें”(Uttar banga mai kudrat ka kaher,barish aur landslides ne li do jane)

उत्तर बंगाल में भारी बारिश और तेज़ हवाओं से तबाही: भूस्खलन, मकानों को नुकसान, पेड़ उखड़े; दो की मौत
उत्तर बंगाल के कई जिलों में लगातार 24 घंटे से जारी तेज़ बारिश और तेज़ हवाओं ने तबाही मचा दी है। बुधवार को पूरे दिन भर बारिश और तेज़ हवा के कारण कई स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं हुईं, मकानों को नुकसान पहुँचा, पेड़ उखड़ गए और कई इलाकों में जलभराव हो गया। इस प्राकृतिक आपदा के कारण दो लोगों की मौत भी हो गई, जिनमें एक मासूम बच्ची भी शामिल है।

मौसम विभाग का अनुमान और बारिश का आँकड़ा
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार सुबह तक बीते 24 घंटों में दार्जिलिंग में 72 मिमी, सिलीगुड़ी में 64 मिमी और मालदा में 63 मिमी बारिश दर्ज की गई। लगातार हो रही बारिश के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में मिट्टी ढीली पड़ गई और इससे भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं।

दर्दनाक हादसे: दो लोगों की मौत
दार्जिलिंग ज़िले के पुलबाजार थाना क्षेत्र के तहत दो अलग-अलग स्थानों पर दो लोगों की मौत मलबे में दबने से हो गई।
• चर्चरे बाड़ी जमुने में 32 वर्षीय जेसीबी चालक प्रणीत जोगो उस समय मलबे में दब गए जब उन पर पहाड़ी मलबा गिर पड़ा।
• वहीं लोअर गोक में 6 वर्षीय समंता सुब्बा की भी भूस्खलन के कारण मौत हो गई। वह घर के अंदर ही थी जब अचानक मलबा आकर गिरा और वह उसके नीचे दब गई।

मकानों को नुकसान और सड़क मार्ग बाधित
रोंगली रोंगलियोट ब्लॉक के ताकदाह इलाके में एक पेड़ गिरने से एक घर क्षतिग्रस्त हो गया। सुखियापोखरी ब्लॉक स्थित पुलुंग डोंग टी एस्टेट में भी भूस्खलन की खबर है।

दार्जिलिंग शहर के कई वार्डों में भी भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं हैं। विशेष रूप से वार्ड 5, 12, 13, 14 और 23 में छोटे भूस्खलन हुए।
दार्जिलिंग की प्रसिद्ध टेन्ज़िंग नोर्गे रोड सुबह के समय कुछ घंटों के लिए अवरुद्ध हो गई थी। हालांकि, सिविल डिफेंस विभाग की क्विक रिस्पॉन्स टीम ने मलबा हटाकर दोपहर में मार्ग को साफ कर दिया।

सिलीगुड़ी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-10 पर भूस्खलन
लगातार बारिश की वजह से सिलीगुड़ी से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित स्वेतीजोरा इलाके में एनएच-10 पर भूस्खलन हुआ। इसके चलते राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। सड़क पर मलबा फैल जाने के कारण गाड़ियां रुक गईं। बाद में लगभग दोपहर 1:30 बजे के आसपास मलबा हटाया गया और यातायात को बहाल किया गया।

मालदा में जलजमाव से जनजीवन प्रभावित
बारिश का असर केवल पहाड़ी इलाकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मैदान क्षेत्रों में भी इसका असर देखा गया। मालदा शहर के कम से कम छह वार्डों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। भारी बारिश ने शहर के जल निकासी प्रणाली की पोल खोल दी।
प्रभावित इलाकों में सुभाषपल्ली, प्रांतपल्ली, सर्वमंगलापल्ली, कृष्णपल्ली, मालनचपल्ली और आसपास के अन्य मोहल्ले शामिल हैं।
लगभग 10,000 से अधिक लोग जलभराव से प्रभावित हुए हैं। लोगों को घुटनों तक पानी में चलने के लिए मजबूर होना पड़ा। कई स्थानीय निवासी अपनी नाराज़गी व्यक्त करते हुए नजर आए।

नागरिकों में नाराज़गी
स्थानीय निवासी और सरकारी कर्मचारी कनक कुमार दास ने कहा, “बस दो दिन की बारिश और हम मुश्किल में पड़ जाते हैं। यह कोई नई बात नहीं है। हर साल बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन मानसून के दौरान हालात जस के तस बने रहते हैं।”
लोगों का कहना है कि जब तक नाली व्यवस्था और जल निकासी प्रणाली को दुरुस्त नहीं किया जाएगा, तब तक हर साल इसी तरह की मुसीबतें झेलनी पड़ेंगी।

प्रशासन की तैयारी और प्रतिक्रिया
हालांकि प्रशासन द्वारा कुछ क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई की गई, फिर भी यह स्पष्ट है कि ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना और बेहतर बुनियादी ढांचे की जरूरत है।
दार्जिलिंग में सिविल डिफेंस की टीम ने सड़क से मलबा हटाकर यातायात बहाल किया। लेकिन प्रभावित परिवारों के पुनर्वास, क्षतिग्रस्त मकानों की मरम्मत और मृतकों के परिजनों को राहत पहुंचाना प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती बनी हुई है।

उत्तर बंगाल में मानसून ने एक बार फिर अपनी विनाशकारी ताकत दिखाई है। पहाड़ों में भूस्खलन, मैदानों में जलजमाव, लोगों की जान-माल का नुकसान और प्रशासन की सीमित तैयारी—इन सभी ने मिलकर एक गंभीर तस्वीर पेश की है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस बार की घटनाओं से सबक लें और आने वाले दिनों में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि आम लोगों को हर मानसून में इस तरह की परेशानी न झेलनी पड़े।

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