International womens day 8th march 2025

International womens day 8th march 2025
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: नारी शक्ति को सलाम

हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, जो महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक विशेष दिन है। यह दिन उन महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियों को सामने लाने का अवसर है, जिन्होंने समाज को आगे बढ़ाने, समुदायों को सशक्त बनाने और दुनिया में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
STEM क्षेत्र में अग्रणी महिलाओं को सम्मान
विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान अतुलनीय रहा है। गूगल ने इस विशेष अवसर पर एक डूडल के माध्यम से उन महिलाओं को सम्मानित किया है, जिन्होंने विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में ऐतिहासिक योगदान दिया है।
गूगल ने अपने बयान में कहा,
“हम अपने डूडल के माध्यम से STEM क्षेत्र में अग्रणी महिलाओं को सम्मानित कर रहे हैं। इस डूडल में उन महान महिलाओं की उपलब्धियों को दर्शाया गया है, जिन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण (Space Exploration) में क्रांति लाई, प्राचीन खोजों (Ancient Discoveries) को उजागर किया और प्रयोगशाला अनुसंधान (Lab Research) में ऐसी खोजें कीं, जिन्होंने भौतिकी (Physics), रसायन विज्ञान (Chemistry) और जीव विज्ञान (Biology) की हमारी समझ को मौलिक रूप से बदल दिया। और ये उपलब्धियाँ केवल विज्ञान में महिलाओं के योगदान का एक छोटा सा हिस्सा हैं।”
STEM में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में लैंगिक समानता को लेकर दुनिया में काफी प्रगति हुई है, फिर भी STEM क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी अब भी अपेक्षाकृत कम है। लेकिन इस क्षेत्र में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो समावेशिता और समान अवसरों की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है।
आज की महिलाएँ विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं और अपनी उपलब्धियों से युवा लड़कियों को प्रेरित कर रही हैं कि वे भी इन क्षेत्रों में आगे बढ़ सकती हैं। STEM में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए शिक्षा, नीति निर्माण और कार्यस्थलों में अधिक सहयोग और समर्थन की आवश्यकता है।
महिला दिवस 2025 का संदेश
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस न केवल महिलाओं की उपलब्धियों को पहचानने और सम्मान देने का अवसर है, बल्कि यह लैंगिक समानता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दोहराने का दिन है। इस अवसर पर हमें उन बाधाओं को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए, जो महिलाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ने से रोकती हैं।
इस वर्ष का महिला दिवस एक महत्वपूर्ण संदेश देता है—
“महिलाएँ केवल अतीत की गौरवशाली खोजों का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे भविष्य का निर्माण भी कर रही हैं!”
नारी शक्ति को सलाम!

सुचेता कृपलानी: भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम की निर्भीक सेनानी
भारत की राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में अमिट छाप छोड़ने वाली सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को अंबाला (हरियाणा) में हुआ था। वे न केवल भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी एक निर्भीक योद्धा के रूप में उभरीं। उनका राजनीति और राष्ट्रसेवा के प्रति झुकाव बचपन से ही स्पष्ट था, जब ब्रिटिश हुकूमत अपने चरम पर थी।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
सुचेता कृपलानी ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की सदस्य बनीं और गांधीजी के साथ मिलकर देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। 15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब उन्होंने संविधान सभा में राष्ट्रगान गाकर ऐतिहासिक भूमिका निभाई।
भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री
स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने देश की सेवा जारी रखी। वे 1963 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, इस तरह वे भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त करने वाली नेत्री बनीं। उनके कार्यकाल में प्रशासनिक सुधार, महिला सशक्तिकरण और विकास योजनाओं पर विशेष जोर दिया गया।
निडर, प्रेरणादायक और सशक्त नेतृत्व
सुचेता कृपलानी का जीवन राष्ट्रसेवा और निडर नेतृत्व का प्रतीक था। वे महिलाओं के लिए राजनीति में मार्ग प्रशस्त करने वाली एक प्रेरणास्रोत बनीं। उनका योगदान भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।
उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं और यदि उन्हें अवसर मिले तो वे समाज और राष्ट्र के विकास में अभूतपूर्व योगदान दे सकती हैं।
नारी शक्ति को नमन!

इंदिरा गांधी: भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री और सशक्त नेता
श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, जिन्होंने दो कार्यकाल तक देश की बागडोर संभाली। वे अपने अद्वितीय नेतृत्व, दृढ़ इच्छाशक्ति और ऐतिहासिक निर्णयों के लिए जानी जाती हैं। उनका कार्यकाल भारत के लिए कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी बना, जिसमें सबसे प्रमुख था 1971 का भारत-पाक युद्ध, जिसने बांग्लादेश के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।

राजनीतिक सफर और उपलब्धियाँ
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुत्री थीं और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शांतिनिकेतन में प्राप्त की। वे 1966 में भारत की प्रधानमंत्री बनीं और 1984 तक (एक छोटे अंतराल को छोड़कर) इस पद पर बनी रहीं।

उनके शासनकाल की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ:
✅ 1971 का भारत-पाक युद्ध: पाकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल कर बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाई।
✅ हरित क्रांति: कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए नीतियाँ बनाईं, जिससे भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बना।
✅ पोखरण परमाणु परीक्षण (1974): भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल कराया।
✅ राष्ट्रीयकरण: बैंकों और कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।

“लौह महिला” के रूप में पहचान
इंदिरा गांधी को उनकी कड़ी नीतियों और दृढ़ नेतृत्व के कारण “भारत की लौह महिला” कहा जाता है। वे न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ थीं बल्कि महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बनीं कि वे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं।

उनका जीवन और योगदान आज भी भारतीय राजनीति और समाज के लिए मार्गदर्शक बने हुए हैं।

“नारी शक्ति को नमन!”

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