केदारनाथ धाम(Kedarnath Dham 2025): चार धाम यात्रा का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल
केदारनाथ धाम हिंदू धर्म के चार सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है, जिन्हें सामूहिक रूप से चार धाम यात्रा के नाम से जाना जाता है। इस आध्यात्मिक यात्रा के अन्य तीन पवित्र स्थल बद्रीनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री हैं। ये सभी दिव्य स्थल पवित्र गंगा नदी के किनारे स्थित हैं, जो इस यात्रा को गहन आध्यात्मिक और समृद्ध बनाने में सहायक हैं।
चार धाम यात्रा का लोकप्रिय मार्ग
इस तीर्थयात्रा के लिए सबसे लोकप्रिय मार्ग हरिद्वार से शुरू होता है, जो चारों पवित्र स्थलों को कवर करते हुए अंत में फिर से हरिद्वार में समाप्त होता है। हर एक स्थल अलग-अलग देवताओं को समर्पित है:
केदारनाथ में भगवान शिव
बद्रीनाथ में भगवान विष्णु
गंगोत्री में मां गंगा
यमुनोत्री में मां यमुना
केदारनाथ धाम यात्रा को क्यों माना जाता है पवित्र?
केदारनाथ यात्रा का अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व है, क्योंकि यह वह स्थान माना जाता है जहां भगवान शिव ने प्रकट होकर उच्चतम चेतना की अवस्था प्राप्त की थी। केदारनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे मोक्ष (आध्यात्मिक मुक्ति) का द्वार माना जाता है।
यह पवित्र यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आत्मिक उन्नति और आंतरिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को खुलेंगे: भक्तों के लिए दर्शन का सुनहरा अवसर
विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट इस वर्ष 2 मई को सुबह 7 बजे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले जाएंगे। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद इस तिथि की घोषणा की गई। इस विशेष अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और भगवान शिव के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा।
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कपाट खुलने की तिथि का निर्णय
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर पुजारियों और विद्वानों की उपस्थिति में विधिवत अनुष्ठान के बाद केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की गई।
28 अप्रैल को बाबा केदार की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी।
1 मई को बाबा केदार की डोली केदारनाथ पहुंचेगी।
2 मई को प्रातः 7 बजे, वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक धार्मिक विधि-विधान के साथ केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
पिछले वर्ष का दृश्य
पिछली बार 3 नवंबर को भगवान केदारनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक परंपराओं के साथ बंद किए गए थे। इस दौरान भारतीय सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों पर श्रद्धालु भाव-विभोर होकर नृत्य करते नजर आए थे, जिसने उस पल को और भी दिव्य बना दिया था।
श्रद्धालुओं के लिए यह एक सुनहरा अवसर होगा, जब वे बाबा केदार के दर्शन कर अपने जीवन को पवित्र और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर सकेंगे।