“विजय सेतुपति और पांडिराज की टूटी तकरार: ‘थलैवन थलैवी’ से फिर जुड़ा भरोसा और दोस्ती”(Vijay Sethupathi aur Pandiraj ki tuti takrar,Thalaivan Thalaivi se phir jura bharosa aur dosti)
“विजय सेतुपति और मैंने आपसी सहमति से तय किया था कि हम जीवन भर एक-दूसरे के साथ काम नहीं करेंगे” – निर्देशक पांडिराज ने बताई दिल छू लेने वाली कहानी
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक पांडिराज इन दिनों अपनी आगामी पारिवारिक फिल्म थलैवन थलैवी(Thalaivan Thalaivi) को लेकर चर्चा में हैं, जिसमें मुख्य भूमिकाओं में दक्षिण भारतीय सिनेमा के दो बेहतरीन कलाकार विजय सेतुपति और नित्या मेनन नजर आएंगे। लेकिन इस फिल्म से जुड़ी सबसे चौंकाने वाली बात खुद निर्देशक पांडिराज ने एक प्री-रिलीज़ इवेंट के दौरान साझा की, जब उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने और विजय सेतुपति ने आपसी सहमति से यह तय कर लिया था कि वे कभी भी एक-दूसरे के साथ काम नहीं करेंगे।
पुरानी अनबन और बढ़ता मतभेद
पांडिराज ने बताया कि कुछ समय पहले उनकी और विजय सेतुपति की एक छोटी सी बात पर बहस हो गई थी, जो धीरे-धीरे एक बड़े मतभेद में बदल गई। उस बहस ने इतनी गंभीर शक्ल ले ली कि दोनों ने यह तय कर लिया कि वे भविष्य में कभी भी साथ में काम नहीं करेंगे। पांडिराज कहते हैं, “हम दोनों ने आपसी सहमति से यह तय कर लिया था कि हम कभी भी एक-दूसरे के साथ कोई फिल्म नहीं बनाएंगे।”
यह मतभेद दोनों के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में दूरी पैदा कर चुका था। दोनों कलाकार तमिल फिल्म इंडस्ट्री में अपनी-अपनी जगह मजबूत कर चुके थे, लेकिन आपसी रिश्ते में आई खटास ने वर्षों तक एक बेहतरीन साझेदारी को रोके रखा।
निर्देशक म्यस्किन की बर्थडे पार्टी बनी टर्निंग पॉइंट
यह सब तब बदला जब निर्देशक म्यस्किन का जन्मदिन था और पांडिराज उस पार्टी में पहुंचे। उन्होंने बताया कि जब वे पार्टी में पहुंचे, तभी विजय सेतुपति भी वहां आए। पांडिराज थोड़े असहज महसूस कर रहे थे और सोच में पड़ गए कि उन्हें विजय सेतुपति को अभिवादन करना चाहिए या नहीं। वे सोच रहे थे कि बेहतर होगा कि दूरी बनाकर रखें।
लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने सारी दूरियां मिटा दीं। म्यस्किन ने सभी मेहमानों को केक कटिंग के लिए पास बुलाया। पांडिराज ने सोचा कि शायद भीड़ में विजय सेतुपति उन्हें नोटिस नहीं करेंगे, लेकिन तभी उनके कंधे पर एक हाथ आया और उन्हें एक गर्मजोशी से भरे आलिंगन में जकड़ लिया।
पांडिराज कहते हैं, “मैंने पलटकर देखा तो वो विजय सेतुपति थे। उन्होंने मुझे गले लगाया और कहा कि चलो पुराने गिले-शिकवे भुला देते हैं। उस पल ने हमारे रिश्ते को नया मोड़ दे दिया।”
दिल से निकली बातें, टूटे सारे भ्रम
यह मुलाकात केवल औपचारिक नहीं थी, बल्कि उसमें सच्ची भावना और सुलह की चाह थी। दोनों ने उस पार्टी में खुलकर बातें कीं, अपने पुराने मतभेदों को सामने रखा और दिल से क्षमा भी मांगी। पांडिराज कहते हैं कि यह एक भावुक क्षण था जो शायद उनकी जिंदगी की सबसे अच्छी यादों में शामिल हो गया।
स्क्रिप्ट लिखते समय विजय सेतुपति को किया गया था ध्यान में
पार्टी के बाद दोनों में फिर से संवाद शुरू हुआ और जब पांडिराज ने थलैवन थलैवी की स्क्रिप्ट लिखनी शुरू की, तो उनके दिमाग में सबसे पहला नाम विजय सेतुपति का ही आया। पांडिराज ने बताया कि उन्होंने इस किरदार को लिखते समय सिर्फ विजय सेतुपति को ध्यान में रखते हुए ही इसकी रचना की थी, क्योंकि इस रोल में वही पूरी तरह फिट बैठते थे।
उन्होंने कहा, “मैं जानता था कि इस किरदार के लिए विजय से बेहतर कोई और हो ही नहीं सकता।” इसके बाद उन्होंने विजय सेतुपति से संपर्क किया और स्क्रिप्ट सुनाई। विजय सेतुपति को कहानी बहुत पसंद आई और उन्होंने बिना किसी झिझक के हां कह दी।
फिल्म में दिखेगी सच्ची केमिस्ट्री
फिल्म थलैवन थलैवी एक पारिवारिक मनोरंजन है, जिसमें भावनाएं, संघर्ष और रिश्तों की गहराई देखने को मिलेगी। इसमें विजय सेतुपति और नित्या मेनन की जोड़ी एक नई ताजगी लेकर आएगी। लेकिन इसके साथ ही जो चीज दर्शकों के लिए खास होगी, वह है विजय सेतुपति और पांडिराज के बीच की बनी नई समझ और आपसी तालमेल, जो फिल्म के हर फ्रेम में झलकता है।
एक मिसाल बनी यह सुलह
तमिल सिनेमा में यह उदाहरण एक प्रेरणा है कि कैसे मतभेदों के बावजूद संवाद और समझदारी से रिश्तों को फिर से जोड़ा जा सकता है। पांडिराज और विजय सेतुपति की यह कहानी यह भी दर्शाती है कि सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि रिश्तों को जोड़ने वाली एक मजबूत डोर भी है।
जहां आज की दुनिया में मतभेद अक्सर स्थायी दुश्मनी का रूप ले लेते हैं, वहीं पांडिराज और विजय सेतुपति की यह कहानी उम्मीद की किरण है। यह दिखाती है कि सच्ची भावना, विनम्रता और क्षमा भाव से हर दूरी मिटाई जा सकती है।
अब दर्शकों को फिल्म थलैवन थलैवी का बेसब्री से इंतजार है, क्योंकि इस फिल्म में न केवल एक शानदार कहानी है, बल्कि पर्दे के पीछे की एक और भी खूबसूरत कहानी छुपी है – दो कलाकारों के बीच की सुलह, समझ और नया विश्वास।