Bijaya ekadshi 24 feb 2025

विजया एकादशी:(Bijaya ekadshi) 24 फरवरी 2025

व्याख्या:
विजया एकादशी का एकादशी तिथि 23 फरवरी 2025 को दोपहर 1:55 बजे शुरू हुई और 24 फरवरी 2025 को दोपहर 1:44 बजे समाप्त हुई।
एकादशी व्रत सूर्योदय से अगले दिन सुबह तक रखा जाता है, इसलिए व्रत 24 फरवरी को रखा गया।
व्रत का पारण (व्रत खोलना) 25 फरवरी 2025 को किया गया।
विजया एकादशी के बारे में:
विजया एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक शुभ दिन है।
इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, कलश (घड़ों) को सजाते हैं और सफलता व शुद्धिकरण के लिए पूजा करते हैं।
व्रत का पारण अगले दिन सुबह किया जाता है।
इस अवधि के दौरान हानिकारक गतिविधियों से बचने की सलाह दी जाती है।
एकादशी माह में दो बार आती है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान।
विजया एकादशी 2025: महत्व, तिथि और पूजा विधि
विजया एकादशी हिन्दू धर्म में एक विशेष धार्मिक महत्व रखने वाला पर्व है, जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस वर्ष विजया एकादशी 24 फरवरी 2025 को मनाई गई। एकादशी तिथि 23 फरवरी को दोपहर 1:55 बजे शुरू हुई और 24 फरवरी को दोपहर 1:44 बजे समाप्त हुई। एकादशी व्रत सदैव सूर्योदय से लेकर अगले दिन तक रखा जाता है, इसलिए इस वर्ष व्रत 24 फरवरी को रखा गया और पारण (व्रत खोलना) 25 फरवरी 2025 को किया गया।
विजया एकादशी का अर्थ ही ‘विजय’ है, और इस दिन का व्रत रखने से जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने भी लंका पर विजय प्राप्त करने से पूर्व समुद्र तट पर इस व्रत का पालन किया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें रावण पर विजय प्राप्त हुई थी। इस दिन भक्तगण भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और कलशों (घड़ों) को सजाते हैं। विशेष रूप से पीले फूल, तुलसी के पत्ते और फल अर्पित किए जाते हैं।
व्रत के दौरान भक्त पूरी श्रद्धा के साथ केवल फलाहार या जल ग्रहण करते हैं। कुछ भक्त निर्जला व्रत भी रखते हैं, जिसमें जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। इस दिन सत्यनारायण कथा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। व्रत के अगले दिन ब्राह्मण भोजन एवं दान-दक्षिणा देने के बाद पारण किया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विजया एकादशी का व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। साथ ही, इस दिन हानिकारक गतिविधियों जैसे झूठ बोलना, क्रोध करना, किसी को कष्ट पहुँचाना आदि से बचना चाहिए।
प्रत्येक माह में दो एकादशी होती हैं—शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। विजया एकादशी कृष्ण पक्ष में आती है और इसका महत्व विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए होता है।

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